Shodashi No Further a Mystery
Wiki Article
एकान्ते योगिवृन्दैः प्रशमितकरणैः क्षुत्पिपासाविमुक्तैः
सा नित्यं रोगशान्त्यै प्रभवतु ललिताधीश्वरी चित्प्रकाशा ॥८॥
॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Shodashi is deeply linked to the path of Tantra, wherever she guides practitioners towards self-realization and spiritual liberation. In Tantra, she is celebrated given that the embodiment of Sri Vidya, the sacred awareness that results in enlightenment.
During the spiritual journey of Hinduism, Goddess Shodashi is revered for a pivotal deity in guiding devotees to Moksha, the ultimate liberation from the cycle of start and Demise.
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग here और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
ह्रीङ्काराम्भोजभृङ्गी हयमुखविनुता हानिवृद्ध्यादिहीना
Goddess Shodashi has a third eye around the forehead. She's clad in purple costume and richly bejeweled. She sits with a lotus seat laid over a golden throne. She's shown with four arms in which she retains five arrows of bouquets, a noose, a goad and sugarcane being a bow.
कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।
देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach
Cultural situations like folks dances, new music performances, and performs also are integral, serving like a medium to impart conventional tales and values, In particular towards the young generations.
वन्दे वाग्देवतां ध्यात्वा देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१॥
पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥